आगर-मालवा, 23 सितम्बर/ग्राम उमरपुर में डीएससी संस्था द्वारा एचडीएफसी परिवर्तन परियोजना के तहत किसानों के लिए एक मॉडल ट्रेनिंग कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य किसानों को सोयाबीन की हार्वेस्टिंग, भंडारण, और गेहूं की खेती से संबंधित प्री-एक्टिविटी के बारे में जानकारी देना था। कार्यक्रम में क्षेत्र के कई किसानों ने भाग लिया और उन्होंने आधुनिक कृषि तकनीकों का ज्ञान प्राप्त किया।
प्रशिक्षण के दौरान किसानों को सोयाबीन की सही समय पर हार्वेस्टिंग के महत्व को बताया गया। फसल को समय पर काटने से न केवल उपज बढ़ती है, बल्कि अनाज की गुणवत्ता भी बेहतर होती है। साथ ही, नमी का सही स्तर बनाए रखने और फसल को नुकसान से बचाने के उपायों पर चर्चा की गई। इसके अलावा, भंडारण के लिए अनाज को सूखा और हवादार स्थान पर रखने के निर्देश दिए गए, जिससे फसल की गुणवत्ता बनी रहे और कीटों और नमी से फसल सुरक्षित रहे।
इस सत्र में किसानों को गेहूं की वैरायटी के बारे में जानकारी दी गई, जिसमें विभिन्न किस्मों और उनके फायदों पर चर्चा की गई। किसानों को यह समझाया गया कि क्षेत्रीय मौसम और मिट्टी के अनुसार उपयुक्त किस्मों का चयन कैसे किया जाए। इसके साथ ही, बुवाई का सही तरीका बताया गया, जिसमें सही गहराई और बीजों के बीच की दूरी को ध्यान में रखने की सलाह दी गई, जिससे उत्पादकता में सुधार हो सके। बीज उपचार के महत्व पर भी जोर दिया गया, जिससे बीजों को रोगों से सुरक्षित किया जा सके। अंत में, खेत की तैयारी के वैज्ञानिक तरीकों, जैसे मिट्टी की जांच और पोषक तत्वों के सही प्रबंधन के बारे में भी जानकारी दी गई।प्रशिक्षण के अंत में किसानों को सोयाबीन के डेमोंसट्रेशन प्लॉट पर ले जाया गया, जहां उन्होंने दो अलग-अलग किस्मों के बीच के अंतर को समझा। उन्हें यह बताया गया कि किस तरह से अलग-अलग किस्मों की उपज, रोग-प्रतिरोधक क्षमता, और खेती की परिस्थितियों में अंतर होता है। इससे किसानों को सही वैरायटी के चयन में मदद मिलेगी, जिससे उनकी उपज और आय में वृद्धि होगी।
यह कार्यक्रम किसानों के लिए अत्यंत लाभदायक साबित हुआ, और इससे उन्हें फसलों की आधुनिक तकनीकों को अपनाने के लिए प्रेरणा मिली। ट्रेनिंग में बीएससी संस्था से हेमेंद्र आर्य, मनसा परमार, धर्मेंद्र मेवाडा और कैलाश उपस्थित रहे साथ किसान उपस्थित रहे।