पंच तत्वों में विलीन हुए श्री आर्य वैदिक परंपराओं अनुसार किया गया अंतिम संस्कार

 

कानड़। महान समाज सुधारक आर्य समाज महर्षि दयानंद सरस्वती के अनुयाई शिव सिंह आर्य का 95 वर्ष की उम्र में गुरुवार को शाम को निधन हो गय। शिव सिंह आर्य के निधन के बाद क्षेत्र में शोक की लहर से दौड़ पड़ी जहां सैकड़ों की संख्या में उन्हें अपना मार्गदर्शक मानने वाले लोगो ने उनके पैतृक निवास पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की समाज सुधारक शिव सिंह आर्य का शुक्रवार की सुबह उनके निज निवास से अंतिम यात्रा शुरू हुई। जहां सैकड़ों की तादात में लोगो ने अंतिम यात्रा में शामिल होकर मुक्तिधाम में उन्हें अंतिम विदाई दी, आर्य का अंतिम संस्कार वैदिक परंपरा अनुसार मंत्रो के उच्चारण के साथ हुआ।जहा बाद में आर्य पंच तत्वों में विलीन होने के बाद सामाजिक क्षेत्र के अलग अलग लोगो ने अपने भाव प्रकट कर उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की , सामाजिक क्षेत्र में स्व शिव सिंह आर्य के साथी काशीराम आर्य ने भी अपने विचार प्रकट कर उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की इसी के साथ अंतिम संस्कार में अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करने आए मध्यप्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष सुरेश आर्य ने भी स्व शिव सिंह आर्य को अपनी वाणी के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया और दोबारा जन्म लेकर वैदिक प्रचार करने की ईश्वर से प्रार्थना की,वही श्रद्धांजलि सभा को पूर्व नप अध्यक्ष राजमल सोनी, नप अध्यक्ष प्रतिनिधि बाबूलाल बीजापारी, आर्य वीर दल के प्रान्त महा मंत्री प्रताप सिंह आर्य, बलाई समाज के राष्ट्रीय प्रवक्ता सत्यनारायण मालवीय, आर्य समाज के प्रचारक रघुनाथ सिंह आर्य, मुकेश आर्य ने भी संबोधित कर श्रद्धांजलि दी। आपको बता दें की 17 अक्टूम्बर को आर्य के पेट में तकलीफ होने की वजह से उन्हें पहले आगर के बैजनाथ हॉस्पिटल में 3 दिन भर्ती किया गया जहां हालत में सुधार नहीं होने की वजह से डॉक्टर निलेश मंगल के परामर्श अनुसार बादमें उन्हें CHL इंदौर मे एडमिट किया था जहाँ पेट रोग विशेषज्ञ डॉ रविन्द्र काले के मार्गदर्शन मे उनका उपचार हुआ। ,हालत मे सुधार नहीं हुआ। गुरुवार कि शाम अपने पैतृक निवास कानड़ में 95 साल की उम्र में अंतिम सांस ली, स्व शिव सिंह आर्य ने आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन कर एक संत के रूप में अपना जीवन यापन किया उन्होंने वैदिक धर्म प्रचार के साथ समाज में फैली कुरूतिया को समाप्त करने के साथ अच्छी शिक्षा के लिए समाज को जागरूक किया। कई विद्यालय भी खोले जहाँ कम शुल्क मे शिका आज भी मिल रही हे।साथ ही उन्होंने ने एक दशक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से भी जुड़कर सामाजिक जीवन में समाज सेवा की और बाद में जन संघ में कार्यकर्ता के रूप में कार्य कर पार्टी को आगे बढ़ाया।

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