संस्कृति बचानी है तो गाय जरूरी है और प्रकृति बचानी है तो पेड़ जरूरी है। पंडित शर्मा आज होगा समापन

 

कानड़। सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा देव नारायण देव डूंगरी शिवगड़ पर मंगलवार से शुरू हुई भागवत कथा का समापन आज सोमवार को यज्ञ की पूर्णाहुति के साथ भागवत जी की आरती के साथ होगा। श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन कथावाचक पवन कृष्ण शर्मा ने श्री कृष्ण ने कहा अपने जीवन में गरीब, अमीर,जात पात की सारी दिवारें गिरा कर समाज के सारे लोग को यहां तक कि पशु पक्षी सबको एक सूत्र में पिरो दिया भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पूजन कर के बृजवासियों को जल, जंगल, और जमीन, अर्थात पहाड़ों का महत्व समझाया कि हमें सुखी जीवन जीना है तो हमारी नदियों का और पहाड़ों का संरक्षण होना चाहिए, उनके प्रति अहो भाव से भरे रहना चाहिए, पंडित श्री शर्मा ने युवाओं से आह्वान किया कि हमारी संस्कृति सोलह संस्कार वाली संस्कृति है, लेकिन आज केवल विवाह संस्कार और अंतिम संस्कार बचा है,, बाकी के चौदह संस्कार हम भूल गए हैं,, श्री शर्मा ने कहा कि आधुनिक बनने के चक्कर में अपने धर्म, इतिहास, और संस्कार को ना भूलें,, क्योंकि जिनको अपने संस्कार और संस्कृति पर गौरव नहीं होता वह नस्लें खत्म हो जाया करती है,,, हमने उस संस्कृति में जन्म लिया है, जिसने पूरी दुनिया को भाईचारे और सभ्यता का पाठ पढ़ाया है,, अपने ले लो पंडित जी ने कहा कि मां बाप का कर्तव्य है बच्चों को संस्कार दें क्योंकि बिना धन के तो व्यक्ति जी सकता है, पर बिना संस्कार के जीवन पशु के समान है भगवान श्री कृष्णा महाकाल की नगरी उज्जैन सांदीपनि आश्रम मे 64 दिन रहे 64 कलाएं सिखी और गुरु के बेटों को लौटाया ओर प्रसंग में आगे कहा दौलत भी ले लो शोहरत भी ले लो मुझे मेरा वह बचपन लौटा दो एवं आज की दुनिया की हालत ऐसी हो गई है बिना मांगे राय देते रुक्मणी जी ने ब्राह्मण देवता को पाती लिखी और ब्राह्मण देवता पाती लेकर द्वारकाधीश यहां संदेश पहुचाया
द्वारकाधीश महल से रथ लेकर निकले
बीच रास्ते में से ही रुक्मणी जी का हरण किया और पूरे विधि विधान के साथ कृष्ण रुक्मणी विवाह संपन्न करवाया गया।
कथावाचक द्वारा कथा के बीच-बीच मैं मधुर भजनों प्यारे मदन गोपाल हमारे प्यारे मदन गोपाल के ओर आगे भजन मे श्याम सुंदर की दुल्हन बना दो अटल सुहागन की बिंदिया लगा दो प्रस्तुति दी गई कृष्ण रुक्मणी विवाह में अधिक जनसंख्या में भक्तजन पहुंचे और पूरे परंपरा अनुसार विवाह संपन्न हुआ और शिचावनी की रसम पूरी की गई अधिक संख्या में भक्त संख्या मैं शिचावनी ने लेकर पहुंचे और भागवत गीता की आरती कर प्रसाद वितरण किया गया

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