ग्रीष्म कालीन तिल में लागत कम, मुनाफा ज्यादा – उप संचालक कृषि चौरसिया |
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तिल की खेती के लिए जिले की मिट्टी उपयुक्त ,
रबी की फसल के उपरांत किसान अपने खेतों में तिल लगाकर कर सकते हैं अतिरिक्त आय
आगर – मालवा । आगर जिले की मिट्टी तिल की फसल के लिए सबसे अच्छी है, तिल भारत की प्रमुख व्यापारिक फसलों में एक उचित स्थान रखती है, रबी की फसल के उपरांत कृषक ग्रीष्मकालीन तिल की खेती करके 10-15 हजार रुपए प्रति क्विंटल अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते हैं । उप संचालक कृषि विजय चौरसिया ने बताया कि जिले के कृषक गर्मी के मौसम में अपने खेतों में तिल लगाकर अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते है, तिल की खेती में लागत कम एवं मुनाफा अधिक होता है, तिल की खेती के लिए यहां कि भूमि भी उपयुक्त है। तिल की खेती के लिए बिज कि मात्रा 5-6 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर उपयोग किया जाता है तिल की खेती में कम पानी की आवश्यकता लगती है तथा इसके लिए अधिक सुरक्षा करने की भी आवश्यकता नहीं होती है, क्योंकि इस फसल को जंगली जानवर घोड़ा रोज़, नील गाय व अन्य जानवरों से कोई नुकसान नहीं है। उप संचालक कृषि ने आगे बताया की हर किसान की चाहत होती है कि वह खेती से ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाए, लेकिन ऐसा तभी मुमकिन है जब वह कुछ अलग तरीके की खेती करें, सिंचाई के पानी की व्यवस्था होने पर एक वर्ष में दो को जगह तीन फसले ले। आज भी अधिकतर किसान पारंपरिक फसलों की खेती कर रहे हैं, ऐसी खेती में मुनाफा अन्य फसलों की तुलना में कम है, वहीं अगर इससे कुछ हटकर खेती करते हैं तो बंपर मुनाफा हो सकता है। इस प्रकार तिल की खेती से भी अच्छा मुनाफा अर्जित किया जा सकता है। इस वर्ष आगर जिले के 206 किसानो ने तिल लगाई है जो की लगभग 300-400 बीघा में लगाई है जिससे किसानो को अच्छा उत्पादन एवं अच्छी आय होने की संभावना है। जिन किसानों ने तिल की फसल लगाई है वह किसान भाई तिल के बीज को संभाल कर रखे जिससे कि आपके आगे भी काम आएंगे