केमिस्ट संगठन ने नारकोटिक विभाग के प्रस्तावित नियमों का विरोध किया
आगर मालवा। आल इंडिया ऑर्गनाइजेशन ऑफ केमिस्ट् एंड ड्रगिस्ट्स एसोसिएशन ने हाल ही मे नारकोटिक्स विभाग के द्वारा नए नियम जिसमे सभी केमिस्ट को समय समय पर साइकॉट्रॉपिक पदार्थ के लिए सीबीएन ऑनलाइन पोर्टल पर त्रैमासिक रिटर्न जमा करने को लेकर सभी हितग्राही को एक सार्वजनिक नोटिस जारी किया जिसको लेकर ऑल इंडिया केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन ने विभाग को पत्र देकर आपत्ति जताई है।के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मेडिसिन डीलर्स एसोसिएशनों का एक प्रतिनिधि निकाय है, जो भारत के कोने-कोने तक भी जरूरतमंद लोगों को आवश्यक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने में सहायक रहा है।आपको बता दे की सीबीएन द्वारा हाल ही में की गयी सार्वजनिक अधिसूचना5
अगस्त को जिसमे दवा विक्रेताओं, केमिस्टों और स्टॉकिस्टों को विभाग की बेब साइट पर समय-समय पर डेटा दर्ज करने का आदेश दिया गया है।इधर संघठन का कहना हे की नारकोटिक्स ड्रग्स और साइकोट्रोपिक दवाओं की आपूर्ति को अवैध चैनल की ओर लेजाने जैसी प्रणाली लागू विभाग करना चाहता है। उक्त सार्वजनिक नोटिस के कार्यान्वयन और प्रारूप की जटिलता पर एआईओसीडी को डर हे।कि यदि इस नियम को लागू किया गया, तो संगठन के केमिस्ट सदस्य ऐसे फॉर्मूलेशन से निपटने से खुद को इन दवाओं से दूर रख सकते हैं। इस मामले को लेकर
एआईओसीडी के अध्यक्ष जे.एस. शिंदे ने कहा कि व्यापारियों वितरकों, स्टॉकिस्टों, केमिस्टों, खुदरा विक्रेताओं द्वारा पंजीकरण करने और 30 सितंबर 2024 तक साइकोट्रोपिक पदार्थों के लिए सीबीएन ऑनलाइन पोर्टल पर त्रैमासिक रिटर्न जमा करने के लिए सभी हितधारकों को एक सार्वजनिक नोटिस जारी किया गया है। इस संबंध में एआईओसीडी द्वारा भारत के नारकोटिक्स आयुक्त को एक विस्तृत ज्ञापन हमारे द्वारा भेजा गया है। साथ ही एआईओसीडी के महासचिव राजीव सिंघल ने कहा कि, नियम 65 केवल साइकोट्रोपिक पदार्थों के निर्माताओं पर लागू होता है। ये नियम दवा व्यापार पर लागू नहीं होता है। उन्होंने कहा की देशभर में करीब 10 लाख व्यापारियों द्वारा पंजीकरण और जटिल त्रैमासिक रिटर्न दाखिल करने से प्रशासनिक बोझ बढ़ जायेगा। जिससे व्यापारियों और सीबीएन को भी अनुचित कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता हे। इस नियम को लेकर सभी को बाहरी सलाहकार की आवश्यकता भी महसूस होगी। राजीव सिंघल ने कहा की खासकर भारत के ग्रामीण इलाकों में देश के कई क्षेत्रों में इंटरनेट व्यवस्था लाचार हे। कही जगहों पर आज भी बिजली कटौती बहुत आम बात हे।कानूनों के इस कड़े प्रावधानों को देखते हुए। यह आशंका हे।कि केमिस्ट उत्पीड़न, अनजाने या प्रक्रियात्मक चूक के मामले से बचने के लिए इन दवाओं का वितरण नहीं करना पसंद करेंगे। जिस से डॉ के साथ मरीजों को परेशानी का सामना उठाना पड़ सकता हे।क्योंकि एनडीपीएस अधिनियम के दंडात्मक प्रावधान कठोर हैं।
एआईओसीडी ने नारकोटिक विभाग से अनुरोध किया है।कि उपरोक्त तथ्यों और वस्तुगत तथा जमीनी हकीकत की जटिलता को देखते हुए व्यापारियों को नियम 65 के दायरे से बाहर रखा जाए। और सार्वजनिक नोटिस में तत्काल प्रभाव से संशोधन किया जाए। वही इस नियम को लेकर आगर जिला केमिस्ट एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष अनिल शर्मा, सचिव योगेश पाण्डे और राजेश मेठी ने भी तत्काल केमिस्ट के पक्ष में नियम में संशोधन करने की बात कही है।उक्त जानकारी जिला केमिस्ट एसोसिएशन के जिला मिडिया प्रभारी दारा सिंह आर्य के द्वारा दी गई।