सरदार वल्लभभाई पटेल शासकीय महाविद्यालय नलखेड़ा में अक्षय ऊर्जा पर व्याख्यान माला आयोजित

आगर-मालवा, 14 अक्टूबर/स्थानीय सरदार वल्लभभाई पटेल शासकीय महाविद्यालय नलखेड़ा में भारतीय ज्ञान परम्परा प्रकोष्ठ के तत्वाधान में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. जी. एल. रावल की अध्यक्षता में अक्षय ऊर्जा पर व्याख्यान माला आयोजित कि गई। व्याख्यान माला के मुख्य वक्ता भौतिक शास्त्र विभाग के डॉ. सुखदेव बैरागी ने अपने वक्तव्य में कहा कि अक्षय ऊर्जा का मुख्य उद्देश्य यही है कि हमारे समाज में यह संदेश जाए कि हमें परंपरागत ऊर्जा स्रोतों के साथ गैरपारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के बारे में भी सोचना है और उन सभी ऊर्जा के स्रोतों का इस्तेमाल करना है जो हमे प्रकृति प्रदान करतीं हैं। ऊर्जा के परंपरागत स्त्रोत जैसे कोयला, डीजल, पेट्रोल व गैस सीमित मात्रा में होने के साथ साथ हमारे पर्यावरण के लिए हानिकारक व बुरा प्रभाव डालते है, जो हमारी पृथ्वी के नाश का कारण बन रहा है। जबकि अक्षय ऊर्जा जैसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, समुद्री ऊर्जा, जल विद्युत ऊर्जा, ऊर्जा का एक ऐसा विकल्प है जो आज के समय में एक बेहद महत्वपूर्ण स्रोत बन गये है। यह न केवल पर्यावरण के लिए बल्कि मानव समाज के खुशहाल जीवन के साथ आर्थिक-सामाजिक विकास और ऊर्जा सुरक्षा के लिए भी एक महत्वपूर्ण समाधान है जो प्रकृति में असीम मात्रा में उपलब्ध होने के कारण इनका उपयोग भविष्य में लंबे समय तक कर सकेंगे जो पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित है।

डॉ. बैरागी ने व्याख्यान माला में उपस्थित श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा कि अक्षय ऊर्जा प्राकृतिक स्रोतों से उत्पन्न होती है जिन्हें समय के साथ पुनः भर दिया जाता है जैसे कि सौर, पवन और जल। यह ऊर्जा का एक स्वच्छ और टिकाऊ रूप है जो जीवाश्म ईंधन पर हमारी निर्भरता को कम करने और जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद कर सकता है। भारतीय अक्षय ऊर्जा का लक्ष्य अक्षय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना और सीमित संसाधनों के दोहन को कम करना है।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. जी एल रावल ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि हमें ऊर्जा संरक्षण पर जोर देना चाहिए इस हेतु हमारे छोटे-छोटे प्रयासों से हम ऊर्जा का संरक्षण कर सकते कि जैसे घरों में अनावश्यक रूप से बिजली जल रही है तो उन्हें हमें बंद करना चाहिए या उसका दुरुपयोग नहीं करना चाहिए साथ ही कहा कि कुछ वर्षों पूर्व हम पूरी तरह से ऊर्जा के परंपरागत स्रोत केरोसिन, पेट्रोल व डीजल पर ही हम आश्रित थे लेकिन आज ऊर्जा के परंपरागत स्रोत होने से हमारी जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव आया है। कार्यक्रम का संचालन भारतीय ज्ञान परम्परा प्रकोष्ठ के प्रभारी डॉ. जितेंद्र चावरे ने किया एवं आभार डॉ. सर्वेश व्यास ने माना। इस अवसर पर महाविद्यालय स्टाफ एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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