आत्मा में राधा नाम के धन का संचय ही आपके साथ जाएगा, यहीं भव से पार लगाएगा”हरिओम महराज

कानड़। चावड़ा ग्राउंड पर आयोजित सात दिवसीय संगीतमय भागवत कथा के द्वितीय दिवस पर कथा वाचक पं. हरिओम जी महाराज ने राधा नाम संकीर्तन के साथ कथा की शुरुआत की।भागवत व्यास हरिओम महाराज ने कथा को विस्तार देते हुए बताया की अपनी आत्मा में राधा नाम के धन का संचय करो यही आपके साथ जाएगा।जेब और तिजोरी में रखा धन तो खत्म हो सकता है,चोरी हो सकता है लेकीन हृदय में बसा राधा नाम का धन आपकी असल पूंजी है यही आपको भव से तार सकता है।
उसके बाद कथा क्रम की शुरुआत भागवत जी के प्रथम श्लोक का उच्चारण करते हुए महाराज ने बताया की अगर आप भागवत कथा से धर्म के मार्ग पर चलना सीखिए।
धर्म से डरकर या लोभ से भागवत प्राप्ति नहीं होती भागवत प्राप्ति करना है तो रस की भक्ती करो इसी से निश्चित आपको भागवत प्राप्ति होगी। धर्म पर चर्चा करते हुए व्यास जी ने कहा कि हमें धर्म को व्यापार नहीं बनाना चाहिए। शास्त्र विमुख बाते करोगे तो आने वाली पीढ़ी को धर्म का सही अर्थ कैसे बताओगे। महाराज जी ने कहा कि हमें जो ये मानव जीवन मिला है। ये विषय वस्तु को भोगने के लिए नहीं मिला है लेकिन आज का मानव भगवान की भक्ति को छोड़ विषय वस्तु को भोगने में लगा हुआ है। उसका सारा ध्यान संसारिक विषयों को भोगने में ही लगा हुआ है। परन्तु मानव जीवन का उद्देश्य भगवत प्राप्ति है अथवा हमारे जीवन का उद्देश्य कृष्ण को पाकर ही जीवन छोड़ना है
व्यासपीठ से महराज जी द्वारा देखे बिन मोहे कल ना पड़त हे जानें मोरी छाती ऊंचे चढ़ चढ़ पंथ निहारूं,जय जय राधा रमण हरि बोल, पकड़ लो हाथ बनवारी नहीं तो डूब जाएंगे जैसे मधुर भजनों की प्रस्तुति की गई जिसपर कथा पंडाल में उपस्थित श्रद्धालु झूम उठे।

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