विसर्जन से पहले गणेश जी को चढ़ाए 56 भोग, जानिए कौन-कौन से हैं ये भोग

 

 

सुसनेर। गणेश उत्सव अंतिम चरण में है। गणेश पूजन, हवन के साथ आज मंगलवार को गणेश विसर्जन किया जाएगा। लेकिन इसके पहले सुसनेर के वार्ड 13 छोटा जिन में महिला मंडल एवं विनायक गणेश उत्सव समिति के तत्वावधान में प्रतिवर्ष यहां विनायक नगर में गणेश स्थापना कर दस दिवसीय गणेशोत्सव मनाया जाता है। जहां इस बार भी यहां गणेश स्थापना की गई है। जहां शनिवार की शाम को यहां भगवान गणेश की 56 भोग लगाकर पूजन कर आरती की गई। वही आज विसर्जन से पूर्व भी नगर के अनेक स्थानों पर स्थापित गणेशोत्सव स्थल एवं घरों में भी 56 भोग लगाकर महाआरती के बाद गणेश विसर्जन किया जाएगा।
अगर आप भी अपने घरों में विराजित गणेशजी को विसर्जन के पूर्व 56 भोग से पूजन करना चाहते है तो 56 भोग से पूजन करते समय आपको अपने यहां के पंडितजी भोग तैयार करने की सूची दे सकते हैं, लेकिन इसके बाद भी आपको 56 भोगों यानि व्यंजनों के नाम जानना हैं तो हम यहां पूरी सूची दे रहेवहे आप पूरी लिस्ट देख सकते हैं। यह 56 भोग भगवान को चढ़ाए जाते हैं।
गणेश को पसंदीदा भोग है लड्डू।
56 भोग की लिस्ट आप यहां देखेंगे, लेकिन भगवान गणेश का पसंदीदा भोग लड्डू है। पुराण के अनुसार भगवान गणेश को बचपन से ही लड्डू बहुत पसंद हुआ करते थे। इसीलिए अब भी सबसे पहले भगवान गणेश को लड्डू का भोग ही लगाया जाता है। लड्डू के भोग लगाने पर भगवान जल्दी प्रसन्न होते है, ऐसी भी अनेक मंदिरों में मान्यता हैं। गणेश पर्व के दौरान शहर के बाजार से लड्डू तो अधिक विक्रय हुए ही, लेकिन घरों में भी महिलाओं ने अलग-अलग तरह के लड्डू तैयार कर भगवान को भोग लगाए।

इन 56 भोग से भगवान होते हैं प्रसन्न

भगवान को प्रसन्न करने के लिए चढ़ाए जाने वाले 56 भोग कुछ इस तरह है। छप्पन भोग में भात, दाल, चटनी, दही शाक की कड़ी, सिखरिणी, शरबत, बाटी, मुरब्बा, शर्करा युक्त त्रिकोण पहले 10 भोग होते है। इसके अलावा बड़ा, मधु शीर्षक, फेनी, पुड़ी, खजला, घेवर, मालपुआ, चोला, जलेबी, मेसू, रसगुल्ला, चंद्रकला, महारायता भी 56 भोग में आते है। 56 भोग की लिस्ट में थूली, लौंग पूड़ी, खुरमा, दलिया, परिखा, सौफलाड्या, बिलसारू, लड्डू, सब्जी, आचार, मोठ, खीर, दही, घी, मख्खन, मलाई, रबड़ी, पापड़, सीरा, लस्सी, सुवत, मोहन, सुपारी, इलायची, फल, पान, मोहन भोग, लवण, कसार, मधुर, तिक्त,कटु, अम्ल आदि भी शामिल है।

क्या है 56 भोग का महत्व
नगर के पण्डित गोविंद शर्मा एवं पण्डित विजय शर्मा के अनुसार भगवान को 56 भोग चढ़ाने के महत्वों को वर्णन अलग-अलग है। भक्त अधिक प्रसन्नता और भगवान को रिझाने के लिए बड़ी ही भक्ति भाव से 56 भोग तैयार करते है और चढ़ाते है। इसे लेकर मान्यता है कि अगर भगवान को भोग पसंद आ जाते है तो भक्तों की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। इसके अलावा विशेष पूजन अवसर पर भी 56 भोग चढ़ाए जाते हैं।

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