आगर-मालवा, 26 जून/ कलेक्टर राघवेंद्र सिंह के निर्देशानुसार कृषि विभाग द्वारा जिले के कृषकों को सोयाबीन के लिए रेज्ड बेड पद्धति और ब्राड बेड फरो पद्धति से बुवाई के लिए प्रेरित किया जा रहा है। कृषक भी कम वर्षा एवं अधिक वर्षा की स्थिति में सोयाबीन की फसल में होने वाली नुकसानी को कम करने हेतु बीबीएफ पद्धति से सोयाबीन बुआई मे रुचि ले रहें।उपसंचालक कृषि चौरसिया द्वारा बुधवार को ग्राम पालखेड़ी और ग्राम विनायगा में सोयाबीन बुआई बीबीएफ पद्धति से करवाई गई। इस दौरान उन्होंने बीबीएफ पद्धति से सोयाबीन की बुआई के फायदें किसानों को बताते हुए कहा कि नुकसान से बचने और अधिक उत्पादन के लिए वैज्ञानिक ब्राड ब्रेड फरो या रिज एंड फरो पूर्ण नाली पद्धति से ही खेती करें, इस तकनीक से खेती करने पर बारिश ज्यादा हो या कम हो दोनों ही स्थिति में किसान को फायदा होता है। साथ ही भूमिगत जल को बढ़ाया जा सकता है एवं मृदा, जल एवं पोषक तत्वों के प्रबंधन द्वारा सोयाबीन फसल की उत्पादन क्षमता एवं मृदा की गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकता है। इससे फसल अवधि के दौरान आवश्यकता पड़ने पर नालियों से सिंचाई करने की सुविधा उपलब्ध है, जबकि समतल बोनी विधि में फसल में सिंचाई करने की सुविधा नहीं होती।
उपसंचालक कृषि ने किसानों से कहा है कि वह एक ही किस्म के सोयाबीन की बोनी करने के स्थान पर अपने खेत में अलग-अलग समय अवधि में पकने वाली दो-तीन किस्म को अपने खेत में लगाएं ,न्यूनतम 70 फ़ीसदी अंकुरण गुणवत्ता के आधार बीज दर का उपयोग करें रिज एंड फरो इस तकनीक में इस तकनीक में जो मेड बनती है उसमें मॉइश्चर कंजर्व हो जाता है। ऐसे में अगर 15 से 20 दिन तक मौसम ड्राई हो जाता है तो फसल को ज्यादा नुकसान नहीं होता है।
इस अवसर पर बीटीएम आत्मा वेदप्रकाश सेन, कृषि विस्तार अधिकारी पप्पू राजोरिया,डीएससी संस्था रवि सिसोदिया, हेमेंद्र आर्य,किसान प्रभुलाल,गोवर्धनलाल, आदि उपस्थित थे।