गोकृपा कथा से प्रेरित होकर चारागाह भूमि से कब्जा छोड़ रहें है लोग* – स्वामी गोपालानंद सरस्वती

 

संवाददाता अक्षय राठौर

सुसनेर। मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव द्वारा मध्य प्रदेश के निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में भारतीय नूतन वर्ष २०८१, से घोषित *गो रक्षा वर्ष* के तहत जनपद पंचायत सुसनेर की समीपस्थ ननोरा,श्यामपुरा, सेमली व सालरिया ग्राम पंचायत की सीमा पर मध्यप्रदेश शासन द्वारा स्थापित एवं श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित विश्व के प्रथम श्री कामधेनु गो अभयारण्य मालवा में चल रहें *एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महामहोत्सव के 122वे दिवस पर श्रोताओं को सम्बोधित करते हुए स्वामी गोपालानंद जी सरस्वती महाराज ने बताया कि एक मुगल एवं अंग्रेजी शासनकाल में भगवती गोमाता के साथ हुए हत्याचार एवं मैकाले मानस पुत्रों ने जिस प्रकार गो की अपेक्षा कर मानव के ह्रदय से गोमाता को दूर कर दिया था उसे पुनः हर मनुष्य के ह्रदय में पुनर्स्थापित करने के लिए ही विश्व के इस प्रथम गो अभयारण्य में एक वर्षीय गो कृपा कथा हो रही है क्योंकि *गोमाता की सच्ची पूजा ही गो सेवा से सम्भव है* और ये तब ही संभव है कि भारत के हर सनातनी के घर में एक एक गोमाता की सेवा हो और यह तब ही संभव है जब *देश के सम्पूर्ण राज्यों का गोचर कब्जे से मुक्त हो और इसकी शुरुआत इस गो कृपा कथा के माध्यम से प्रारम्भ हो गई है अर्थात इस गो अभयारण्य की नींव की ईट माने जाने वाले सालरिया निवासी श्री लाल सिंह जी एवं सालरिया के कालू सिंह जी ने आज संकल्प लिया है कि हम दोनो के पास हमारी खातेदारी भूमि के अतिरिक्त जो जो भी भूमि हमने चारागाह की कब्जा कर रखी है उसको हम सहर्ष छोड़ने की घोषणा करते है और लोधा खेड़ी के कालू सिंह जी जिन्होंने इस एक वर्षीय गो कृपा कथा का निरंतर सुनने का संकल्प लिया है उन्होंने इनसे भी बढ़कर संकल्प किया कि मैं कालू सिंह एवं मेरे पुत्र हुकुम सिंह,शंकर सिंह व शिव सिंह ने खातेदारी भूमि के अलावा जितनी भी चारागाह भूमि पर फसल बोई है उस फसल को पकाकर उसकी सारी फसल को मैं गोमाता के लिए इस गो अभयारण्य देकर सम्पूर्ण चारागाह भूमि जिस पर मेरा व मेरे पुत्रों का कब्जा रहा है उसको मैं हमेशा के लिए छोड़ दूंगा* ।
पूज्य स्वामीजी ने उक्त तीनों गो भक्तो की पहल का स्वागत कर बाकि से भी आह्वान किया कि जिस जिस ने भी गोमाता की चारागाह भूमि पर कब्जा किया हुआ है वे इन तीनो श्रेष्ठ गोभक्तो की भांति छोड़ दे साथ ही स्वामी जी ने मध्यप्रदेश के सभी जिला कलेक्टर महोदय से आग्रह किया है कि जहां जहां भी गोचर भूमि पर कब्जा है उन्हें छुड़वाने की पहल करें और जो नहीं छोड़ते है उन्हे एक बार इस गो अभयारण्य में भिजवा दीजिए वे स्वयं प्रेरणा से गोचर को छोड़ देंगे क्योंकि कोई भी नहीं चाहेगा कि उसकी संतान व उसके परिवार को चारागाह भूमि के कब्जे के माध्यम से जो महापाप हो रहा है उसका फल उनकी सन्तान एवं उन्हें भुगतना पड़े क्योंकि उस कब्जे वाली भूमि में 100-200 बोरी अन्न हो सकता है ,लेकिन गोचर के कब्जे के कारण उनकी जो नस्ल खराब होगी एवं अन्त में सभी को नरक जाना पड़ेगा इतना बड़ा कोई महापाप नहीं करेगा बस आज आवश्यकता है तो वह है कि उनके ह्रदय से जो गोमाता दूर चली गई थी उसे पुनः वापस लाना और यह एक वर्षीय गो कृपा कथा के माध्यम से हो रहा है जिसका परिणाम आ भी रहा है क्योंकि *गोकृपा कथा व्यक्ति के ह्रदय में गो के प्रति श्रद्धा भावना पैदा करती है,जिसके माध्यम से गो सेवा का भाव जागृत हो रहा है*

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