जिंदगी भर कण्डक्टरी की मौत भी कन्डक्टरी करते हुए ही आई

 

सुसनेर। समीपस्थ राजस्थान के पिड़ावा निवासी रियाज खान बचपन से प्रायवेट बसों पर कन्डक्टरी करके अपने परिवार का पालन पोषण करते आ रहे थे। रियाज खान करीब 40 वर्षो से बसों पर कन्डक्टरी का कार्य करते हुए आगर सुसनेर सोयत के बीच चलने वाली निजी बसों पर अपनी सेवाएं देते आ रहे थे जिसके कारण उनके इन क्षेत्र के लोगो से जीवित सम्पर्क हो गया गया। विगत कुछ महीनों से वो इंदौर सोयत नागेश्वर बस पर अपनी सेवा दे रहे थे। परन्तु रविवार की प्रातः 11:30 उनकी मौत भी कन्डक्टर का कार्य करते हुए ही आ गयी। ऊक्त बस सुसनेर बस स्टैंड से सवा ग्यारह बजे सोयत के लिए रवाना हुई। उन्होंने ने सभी पैसेंजर से यात्रा की टिकिट के पैसे वसूल कर जब ऊक्त बस स्थानीय मोड़ी चौराहे पर रविवार को साढ़े ग्यारह बजे पहुँची तब तक उन्होंने अपने कार्य निपटाकर सीट किताब में इंट्री करते करते ही उनकी अचानक अटैक आने से मौत हो गयी। मरने के बाद भी ऐसा लगा जैसे वो अपना कन्डक्टरी का कार्य बड़ी शिद्दत से कर रहे हो। क्योकि मृत्यु आने के बाद भी उनके एक हाथ मे पेन एवं दूसरे हाथ मे सीट किताब हाथ मे ऐसे पकड़े हुए थे जैसे मौत के बाद भी भर रहे है। सहसा सभी पैसेंजर ओर बस ड्राइवर क्लीनर को यकीन ही नही हुआ कि उनकी मृत्यु हो चुकी। क्योंकि पैसे भी बड़ी जिम्मेदारी से उन्होंने सम्भाले हुए थे। ड्राइवर ओर क्लीनर उनको जीवित समझकर कर आवाज लगा रहे थे।

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