अतीत की धरोहर को वर्तमान से जोड़ने की सराहनीय कोशिश है नवसज्जित गोलघर – मुख्यमंत्री डॉ. यादव

शिल्पकला, संगीत और व्यंजनों के केन्द्र के रूप में विकसित गोलघर के नए स्वरूप का लोकार्पण !!

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मध्यप्रदेश पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित स्मारक गोलघर जिसे पर्यटन विभाग ने बहुउद्देशीय कला केन्द्र के रूप में विकसित किया है, आमजन को समर्पित किया। डॉ. यादव ने कहा कि प्राचीन ज्ञान-विज्ञान के केन्द्र आज भी उपयोगी हो सकते हैं। अतीत की धरोहर गोलघर को वर्तमान से जोड़ने की पहल सराहनीय है। भोपाल में गोलघर का मूल नाम गुलशन-ए-आलम था, जिसे 19वीं सदी में नवाब शाहजहां बेगम ने बनवाया था। गोलाकार स्वरूप के कारण इसे गोलघर के नाम से जाना जाता है।मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने पुरातत्व और पर्यटन विभाग को प्राचीन विरासत गोलघर के नए स्वरूप में निर्माण और लोकार्पण के लिए बधाई देते हुए कहा कि गोलघर को देखने और इसके निर्माण की तकनीक को समझने की जरूरत है। नवसज्जा के पश्चात् निश्चित ही यह केन्द्र जनाकर्षण का केन्द्र बनेगा। इस अवसर पर विधायक  भगवान दास सबनानी, भोपाल की महापौर श्रीमती मालती राय, पूर्व महापौर आलोक शर्मा, आशीष अग्रवाल, नगर निगम भोपाल के अध्यक्ष  किशन सूर्यवंशी और कला प्रेमी, नागरिक उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि गोलघर में विभिन्न निर्माण श्रेष्ठ इंजीनियरिंग के उदाहरण हैं। इस पुरानी धरोहर को जीर्णोद्धार के माध्यम से नया रूप दिया गया है। यह आनंदित करने वाला विषय है। यहाँ विभिन्न वस्तुओं की बिक्री की व्यवस्था इस केन्द्र को बहुउद्देशीय बनाती है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कार्यक्रम में प्राचीन गायन कला चार बैत की प्रस्तुति की सराहना करते हुए कहा कि कलाओं के संरक्षण के लिए कला केन्द्रों का पूरा उपयोग होना चाहिए।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि यशस्वी प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में लोकल फॉर वोकल पर जोर देते हुए शिल्पकारों को प्रोत्साहित किया गया है। प्रत्येक जिले की अपनी विशेषता होती है। देश के लगभग 700 जिलों में विभिन्न उत्पादों के प्रचार और विक्रय का कार्य हो रहा है। इस कड़ी में भोपाल के इस प्राचीन गौरव केन्द्र को महिलाओं के सशक्तिकरण से जोड़ते हुए प्राचीन बाजार की कल्पना को नए रूप में साकार किया गया है। इस भवन में अब आत्मा का प्रवेश हो गया है। यह स्मारक अब जीवंत हो गया है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव और अन्य अतिथियों ने मध्यप्रदेश पुरातत्व, पर्यटन और संस्कृति परिषद द्वारा प्रकाशित कैलेंडर का विमोचन भी किया। प्रारंभ में अतिथियों का स्वागत पौधे भेंट कर किया गया।

 

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